कैमूर वन अभयारण्य को इस साल टाइगर रिजर्व की मंजूरी मिल जाएगी। राज्य में वीटीआर के बाद यह दूसरा टाइगर रिजर्व होगा। इसके लिए पिछले महीने केंद्रीय टीम ने कैमूर वन क्षेत्र का दौरा कर आबादी और वन क्षेत्र के बारे में जानकारी ली थी।
इसके लिए कोर एरिया, बफर एरिया और कॉरिडोर को चिह्नित किया गया था। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अधिकारियों ने भी उन्हें प्रजेंटेशन के माध्यम से सभी स्थितियों से अवगत कराया था।
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अब केंद्रीय टीम अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद राज्य सरकार की ओर से टाइगर रिजर्व के लिए अंतिम प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।
इको टूरिज्म के रूप में विकसित होगा यह क्षेत्र
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सूत्रों के मुताबिक मार्च 2020 में कैमूर फॉरेस्ट रिजर्व में वन विभाग द्वारा लगाए गए कैमरा ट्रैप में एक बाघ की तस्वीर कैद हो गई थी। इसके बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा गठित टीम ने यहां का दौरा किया।
टाइगर रिजर्व घोषित होने के साथ ही इस क्षेत्र को ईको टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इसके साथ ही पर्यटन का भी विकास होगा। वर्तमान में यहां के वन क्षेत्रों में भालू, तेंदुआ और हिरण सहित कई जानवरों की मौजूदगी है।
इसके अलावा यहां विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षी भी आते रहते हैं। कैमूर वन क्षेत्र काफी बड़ा है और यह झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के जंगलों के साथ अपनी सीमा साझा करता है।
प्रदेश में कछुआ संरक्षण योजना भी बनाई जा रही है
प्रदेश में कछुए संरक्षण की योजना बनाई जा रही है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा इस योजना के संबंध में लगभग 250 अधिकारियों और कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है।
अब योजना को लागू कर कछुओं के संरक्षण पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इस योजना को इस वर्ष लागू किए जाने की संभावना है। इसके लिए राज्य के आर्द्रभूमि क्षेत्रों में कछुओं के लिए प्रजनन और संरक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा।
इसके साथ ही कछुओं की तस्करी पर लगी रोक को प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा। गौरतलब है कि कछुआ की पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
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